Saturday, December 13, 2008

चालीसा


श्री शिव चालीसा
दोहा
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान
कहत अयोध्यादास तुम,दे अभय वरदान
चोपाई
जय गिरजापति दीनदयाल सदा करत सन्तन प्रतिपाला
भाल चंद्रमा सोहत नीके कानन कुंडल नाग फनी के
अंग गौर शिर गंग बहाये मुडमाल तन क्षार लगाये
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे छवि को देखि नाग मन मोहे
मैना मातु कि हवै दुलारी वाम अंग सोहत छवि न्यारी
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी करत सदा शत्रुन क्षयकारी
नन्दी गणेश सोहै तहँ कैसे सागर मध्य कमल हैं जैसे
कार्तिक श्याम और गणराऊया छवि को कही जाट न काऊ
देवन जभी जाय पुकारा तभी दुःख प्रभु आप निवारा
किया उपद्रव तारक भारीदेवन सब मिलि तुम्हीं जुहारी
तुरत षडानन आप पठायउलव निमेष महं मारी गिरायऊ
आप जलंधर असुर संहारासुयष तुम्हारा विदित संसारा
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई तबहीं कृपा कर लीन बचाई
किया तपहिं भागीरथ भारीपुरव प्रतिज्ञा तासु पुरारी
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीसेवक स्तुति करत सदाहीं
वेड माहि महिमा तुम गाईअकथ अनादी भेद नहीं पाई
प्रगटी उदधि मंथन में ज्वाला जरत सुरासुर भये विहाला
किन्ही दया तहँ करी सहाईनीलकंठ तब नाम कहाई
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा जीत के लंक विभीषन दीन्हा
सहस कमल में हो रहे धारीकिन्ही परीक्षा तबहीं पुरारी
एक कमल प्रभु राखेउ जोई कमल नैन पूजन चहं सोयी
कठीन भक्ति देखी प्रभु शंकर भए प्रसन्न दिए इच्क्षित वर
जय जय जय अनंत अविनाशी करत कृपा सबके घटवासी
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै भ्रमत रहो मोहे चैन न आवै
त्राहि त्राहि मै नाथ पुकारो यह अवसर मोहि आन उबारो
मात-पिता भ्राता सब कोईसंकट मे पूछत नाही कोई
स्वामी एक है आस तुम्हारी धन हरहु मम संकट भारी
धन निर्धन को देत सदा ही जोई कोई जांचे सो फल पाही
अस्तुति कोही विधि करे तुम्हारी क्षमहु नाथ अब चूक हमारी
शंकर हो संकट के नाशन मंगल कारण विध्न विनाशन
योगी यती मुनि ध्यान लगावैनारद शारद शीश नवावै
नमो नमो जय जय नमः शिवाय सुर ब्रह्मादिक पार न पाए
जो यह पाठ करे मन लाईता पर होत है शम्भू सहाई
ऋनिया जो कोई हो अधिकारी पाठ करे सो पावन हरी
पुत्र होन की इच्छा जोई निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई
पंडित त्रयोदशी को लावैध्यान पूर्वक होम करावे
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा तन नहि ताके रहै कलेशा
धुप दीप नैवैध्य चढावै शंकर सम्मुख पाठ सुनावै
जन्म जन्म के पापा नसावैअंत धाम शिवपुर में पावै
कहै अयोध्या आस तुम्हारी जानी सकल दुःख हरउ हमारी
नित नेम कर प्रात:, ही पाठ करो चालीसा तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीशमंगसर छठी हेमंत ऋतु,
संवत चोसठ जान स्तुति चालीसा शिवही,पूर्ण किन कल्याण
2 हनुमान चालीसा
दोहा
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारी!
बरनऊ रघुवर विमल जासु,जो दायकु फल चारी!!
तनु जानिके,सुमिरो पवन कुमार!
बल बुध्दी विद्या देहूं मोहि,हरहु कलेश विकार!!
हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहूँ लोक उजागर
रामदूत अतुलित बलधामा अंजनी पुत्र पवनसुत नामा
महावीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन विराज सुवेसा कानन कुंडल कुंचित केसा
हाथ बज्र ओ ध्वजा बिराजे कंधे मूंज जनेऊ साजेशंकर सुवन
केसरी नंदन तेज प्रताप महा जग बंदन
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया
सूक्ष्म रूप धरी सिंयही दिखावा विकट रूप धरी लंक जरावा
भीम रूप धरी असूर सँहारे रामचंद्र के काज सँवारे
लाय संजीवन लखन जियाये श्री रघुवी हरषी उर लायेरघुपति किन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिया भरतहि सम भाई सहस बदन तुमरो यश गावै
अस कही श्रीपति कंठ लगावेसनकादिक ब्रह्मादी मुनीसा
नारद सारद सहित अहिसा जम कुबेर दिगपाल जहाँ तेकवि कोविद कही सके कहाँ
उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा
तुम्हरो मन्त्र बिभीषण मानालंकेश्वर भये सब जग जाना
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानूप्रभु
मुद्रिका मेली मुख माहि जलधि लाँघ गए अचरज नही
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेतेराम
दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना तुम रक्षक कहू को डरनाआपन
तेज सम्हारो आपे तीनो लोक हांक ते कांपै भुत पिशाच निकट नही आवै
महावीर जब नाम सुनावैनासै रोग हरे सब पीराजपत निरंतर हनुमत वीरासंकट
से हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावैसब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम सजा और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावैचारो जुग प्रताप तुम्हारा है
प्रसिद्ध उजियारा साधू संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे
अष्ट सिध्ही नो निध्ही के दाताअस बार जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा
तुम्हरे भजन राम को पावै जन्म जन्म के दुःख बिसरावै
अंत काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरी भक्त कहाईऔर
देवता चित न धरही हनुमत सेई सर्व सुख करही
संकट कटे मिटै सब पीरा जो सुमिरे हनुमत बल बीरा
जय जय जय हनुमान गोसाईक्रपा करहु गुरुदेव की नाईजो
सत बार पाठ कर कोई छुटहि बंदी महा सुख होई
जो यह हनुमान चालीसा होय सिध्ही साखही गौरीसा
तुलसीदास सदा हरी चेरा कीजै नाथ ह्रदय महा डेरा
दोहा
पवन तन्येह संकट हरन,मंगल मूर्ति रूप
राम लखन सीता सहित,ह्रदय बराहु सुर भूप