ॐ भूर्भू:स्व: तत् सवितुर वरेणियम।
भर्गोदेवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात।।
प्राचीन भारतीय तन्त्र की कुछ पुस्तकों में गायत्री की महत्ता का उल्लेख है, लिखा है कि १०८ या १० बार के गायत्री जाप से महा पातकी व्यक्ति भी मुक्ति पा जाता है।यहाँ जो जप संख्या १०८ या १० बार गायत्री जप निर्दिष्ट किया गया है, वह शक्ताशक्त के लिये समझना चाहिये।
(१) विष्णु गायत्री - त्रैलोक्य-मोहनाय विद्महे काम-देवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
(२)नारायण गायत्री - नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
(३)नृसिंह गायत्री - वज्र नखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि तन्नो नरसिंहः प्रचोदयात्।
(४)गोपाल गायत्री -कृष्णाय विद्महे दामोदराय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
(५)राम गायत्री - द्शरथाय विद्महे सीता वल्लभाय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्।
(६)शिव गायत्री - तत्पुरुषाय विद्महे महा-देवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।
(७)गणेश गायत्री - दक्षिणामूर्तये विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।
(८)सूर्य गायत्री - आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।
(१०)दुर्गा गायत्री - महा देव्यै विद्महे दुर्गायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।
(११)लक्ष्मी गायत्री - महा लक्ष्म्यै विद्महे महा - श्रियै धीमहि तन्नः श्रीः प्रचोदयात्।
(१२)सरस्वती गायत्री - वाग्देव्यै विद्महे काम- राजाय धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।
(१३)अन्नपूर्णा गायत्री - भगवत्यै विद्महे माहेश्वर्यै धीमहि तन्नोऽन्नपूर्णे प्रचोदयात्।
(१४)कालिका गायत्री - कालिकायै विद्महे श्मशान-वासिन्यै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।
(१५)काम गायत्री - काम देवाय विद्महे पुष्प-बाणाय धीमहि तन्नोऽनङ्गः प्रचोदयात्।
ये विभिन्न गायत्री मन्त्र विभिन्न देवी देवताओं के हैं, जिनका जप यथाशक्ति और पूरी निष्ठा से किया जाये तो लाभ होना निश्चित है, संदेह का प्रश्न ही नहीं है।ये सर्वथा सुरक्षित मन्त्र हैं जिनका जप केवल स्नानादि से निवृत्त हो कर किया जा सकता है, और साधक चाहे तो अनुष्ठान भी कर सकता है।